Tag: Hindi Poetry

चलो आज साल भर पीछे जाते हैं। क्या खोया है क्या पाया है हम आज हिसाब लगाते हैं। कुछ पराये अपने से लगे कितने ही अपने गैर हो गए। जो साया बन साथ रहते थे जाने कहाँ अंधेरों में खो गए।

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